भारत में UPSC परीक्षा को सबसे कठिन परीक्षाओं में गिना जाता है। इसमें सफलता पाने के लिए वर्षों की मेहनत, त्याग और निरंतरता चाहिए होती है। लेकिन क्या कोई महिला, जो दो बच्चों की मां हो, 40 साल की हो और शारीरिक रूप से भी चुनौतीपूर्ण स्थिति में हो – UPSC क्रैक कर सकती है?
हां, कर सकती है – और इसका सबसे सटीक उदाहरण हैं केरल की Nisa Unnirajan।
कौन हैं Nisa Unnirajan?
बिंदु | जानकारी |
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नाम | निसा उन्निराजन (Nisa Unnirajan) |
उम्र | 40 वर्ष (2024) |
राज्य | केरल |
UPSC रैंक | AIR 1000 (UPSC CSE 2024) |
अटेम्प्ट | सातवां प्रयास |
पारिवारिक स्थिति | विवाहित, दो बेटियों की मां |
पेशा | नौकरी (सरकारी/प्राइवेट, विवरण नहीं) |
चुनौती | सुनने की समस्या (Hearing Impairment) |
प्रेरणा स्रोत | IAS रंजीत (Kottayam) |
35 की उम्र में लिया UPSC का फैसला
जब ज़्यादातर लोग UPSC को छोड़ने का निर्णय लेते हैं, निसा ने 35 साल की उम्र में इसकी शुरुआत की। उनके सामने तीन बड़ी चुनौतियाँ थीं:
- पारिवारिक जिम्मेदारियाँ (दो छोटी बेटियां)
- फुल-टाइम नौकरी
- शारीरिक समस्या (कम सुनाई देना)
लेकिन उन्होंने अपने दिन का ऐसा शेड्यूल बनाया कि हर जिम्मेदारी और पढ़ाई दोनों को बराबर समय दे सकें।
“मैं दिन में मां थी, कर्मचारी थी… और रात को एक छात्रा,” – निसा
मजबूत परिवार बना सहारा
निसा कहती हैं कि उनके पति अरुण, जो एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, ने हर कदम पर उनका साथ दिया। उनके माता-पिता, जो अब सेवानिवृत्त हैं, ने बच्चों की देखभाल और घर के कामों में सहयोग किया। यही सहारा उन्हें अपनी पढ़ाई के लिए जरूरी समय और मानसिक शक्ति दे सका।

सुनने की समस्या बनी प्रेरणा
निसा की hearing disability बचपन से ही थी। लेकिन उन्होंने इसे कभी बाधा नहीं बनने दिया। वे IAS Ranjit Kottayam से प्रेरित थीं, जो खुद भी इसी चुनौती के बावजूद UPSC में सफल हुए थे। यही सोच निसा को लगातार कोशिश करने की ताकत देती रही।
7वां प्रयास बना सौभाग्यशाली
पहले छह प्रयासों में नाकामी के बावजूद निसा ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी गलतियों से सीखा, तैयारी की रणनीति बदली और सातवें प्रयास में UPSC 2024 में AIR 1000 रैंक हासिल की।
Nisa Unnirajan की सफलता से क्या सीख मिलती है?
- उम्र कोई सीमा नहीं है – 40 साल में UPSC पास करना कोई आम बात नहीं।
- मां बनना कोई रुकावट नहीं है – दो बेटियों के साथ भी सफल तैयारी की जा सकती है।
- शारीरिक चुनौती आपको रोक नहीं सकती – अगर इच्छाशक्ति हो, तो हर बाधा पार की जा सकती है।
- सही समर्थन जरूरी है – परिवार और पति का साथ, सबसे बड़ा आधार होता है।
अंतिम विचार
Nisa Unnirajan की कहानी उन हजारों महिलाओं और युवाओं के लिए एक मिसाल है जो सोचते हैं कि अब देर हो चुकी है, या जिम्मेदारियों के चलते वे कुछ बड़ा नहीं कर सकते।
UPSC जैसी परीक्षा मेहनत, आत्म-विश्वास और सही मार्गदर्शन से ही जीती जाती है – और निसा इसका जीता-जागता उदाहरण हैं।